— क्या तुम्हे नहीं लगा—
इतना कुछ हो गया
इतना होता जा रहा है
पल पल में मौत का
तांडव सरे आम हो रहा है
रास्ते रूक से गए हैं
जिंदगी ठहर सी गयी है
हर तरफ का शोर थम गया
इंसान अब मौन सा हो गया है
जैसी तूफ़ान से पहले
की शान्ति परेशां करती है
ठीक वैसे ही आज
यह खामोशी तंग करती है
क्या तुम्हे नहीं लगा कि
किया किसी ने भुगत कोई और रहा
क्यूँ नहीं दी सजा अब तक
जिस ने सब को झकझोर दिया
अजीत कुमार तलवार
मेरठ