क्या आज मैं कविता लिख पाऊंगा ?
क्या आज मैं कविता लिख पाऊंगा ?
मैं सोच नहीं पा रहा हूँ क्या लिखूं ?
मन में कोई विचार नहीं आ रहे हैं
कलम की स्याही खत्म होने को है
अब खुद को कैसे समझा पाऊंगा
क्या आज मैं कविता लिख पाऊंगा ?
कविता का भाव हम क्या लिखें
प्यार लिखें या कोई एहसास लिखें
गीत लिखें या कोई उपन्यास लिखें
लगता है कुछ नहीं सोच पाऊंगा
क्या आज मैं कविता लिख पाऊंगा ?
विषय,शीर्षक भी याद नहीं आ रहे
मन भी विचलित सा हो रहा है
लेकिन दिल कह रहा है कुछ लिखूं
पर जो आ रहा है वही लिख रहा हूँ
और जो लिख रहा हूँ वही आ रहा है
बस आज इतना ही लिख पाऊंगा
क्या आज मैं कविता लिख पाऊंगा ?
✍️ रमाकान्त पटेल