क्या आज भी पिता धृतराष्ट्र है???????
हां ! आज भी पिता धृतराष्ट्र है।
जब निकली एक लड़की घर से तो,
लड़कों ने बेहाल किया जब ,
लड़के के पिता को पता चला तो ,
मुकदमा भी न चलने दिया।
करा टिकट लगवा,वीजा विदेशी यात्रा पर भेज दिया।
जब बेटे ने एल्कोहल की बोतल उठाई,
खोला ढक्कन तो ,पिता ने भी साथ
बैठकर दो घूट लगाई ।
क्या पिता ने भी अपनी समझ गवाई।
दी पुत्र को आजादी तू कर जो करना है,
मैं तेरे साथ हूं ,जब उसने एक बुजुर्ग व,
गरीब का मजाक उड़ाया ,
तो पिता ने गर्व से अकड़ कर सिर उठाया ।
जब बेटा कॉलेज गया पढ़ने तो खूब धमाचौकड़ी मचाई,
नशे पत्ते की आदतों ने उसकी सूझबूझ बिसराई।
तब भी पिता ने न आंखों की पट्टी हटाई।
एक दिन जब भयानक नशे के साथ ,
लिया पुलिस ने घेर,
पैसों की गड्डी से छुड़ाकर फिर से बिना,
दिया उसे बेलगाम शेर ।
अब तक तो हर बुरे काम में अपने पुत्र का सहारा बना ,
न कभी उसे समझाया,भविष्य का ना कोई ध्यान किया । जब पुत्र ने पिता को आंख दिखाई,अब क्या कहते हो, जब ऊंट स्वयं पहाड़ के नीचे आया ।
अब तो भाई चिड़िया चुग गई खेत,
हाथ में रह गई है रेत,मुट्ठी खोलो तो भी हाथ से जाएगी, बंद करो तो भी फिसल जाएगी ।
महाभारत देख कर भी समझ न आया,
तभी तो आज का पिता भी धृतराष्ट्र कहलाया।
सुतीशा राजपूत (बरवाला)
हरियाणा (पंचकुला)
स्वरचित