कौवा (गीतिका)
कौवा (गीतिका)
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(1)
कहाँ गए तुम कौए काले
अब तो हैं दिखने के लाले
(2)
ढूँढ रहे हैं कौवा तुमको
प्यारे! आ जा ! कुछ तो खा ले
(3)
काँव – काँव सुनने को तरसे
भइए ! अब तो थोड़ा गा ले
(4)
कौए कैसे दिख पाएँगे
कटे पेड़ दूषित नभ नाले
(5)
हुए नदारत कौए मतलब
हाल शहर के ढीले – ढाले
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रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451