कौम की बेटी रोई बीते साल में
स्वागत है तेरा 2020
भूल जा जो बीत गई
नये पलक खोल देख
कोन द्वार पर है
नव वर्ष
वेलकम वेलकम वेलकम
हैप्पी न्यू ईअर
क्या न हुआ बीते साल में
दर्द कोन सा न मिला
बीते साल में
कोन से वादे पूरे हुए
बीते साल में
कोन सी बेटी खौफ मुक्त दिखी
बीते साल में
एससी एसटी एक्ट मुस्कराया
बीते साल में
नाकामयाब रहे जहाँपनाह
बीते साल में
किसानों के आँसू न पोछे
बीते साल में
दर्द कोन सा न मिला
बीते साल में
बेटी पढ़ाओ , बढ़ाओ
बीते साल मे
बेटी बचाओ चिल्लाए
बीते साल में
कन्या धन , कन्या विकास योजना
बीते साल में
न गिरा ग्राफ रेप घटनाओं का
बीते साल में
सरेआम जिन्दा जलायी बेटी
बीते साल में
बन्द करो कन्या के नाम पर
फालतू चिल्लाना
क्योंकि पुरूष प्रधान समाज
युवको की सोच न बदल सका
बीते साल
आ नया साल आ जा तू भी
फिर वही पुरानी दोहरायी जायेगी
फिर किसान फाँसी लगायेगा
फिर वही घटनाएं घटित होगी
क्या कोई विराम लगायेगा
काश ऐसा होता
तो कितना अच्छा होता
खुली हवा में साँस लेती मासूम
स्वच्छ छवि होती
मेरे देश की वतन की