कौन हूं मैं?
इस अजनबी दुनिया में कौन हूं मैं?
अक्सर ये सवाल आता है।
मैं इक भटकता ख्वाब हूं शायद
यही हर बार जवाब आता है।
बस इक मासूम परिंदा हूं मैं इस दुनिया में मेहमान
कुछ दिन यहां रहना है फिर उड़ जाना असमान।
©️ रचना ‘मोहिनी’
इस अजनबी दुनिया में कौन हूं मैं?
अक्सर ये सवाल आता है।
मैं इक भटकता ख्वाब हूं शायद
यही हर बार जवाब आता है।
बस इक मासूम परिंदा हूं मैं इस दुनिया में मेहमान
कुछ दिन यहां रहना है फिर उड़ जाना असमान।
©️ रचना ‘मोहिनी’