“ कौन सुनेगा ?”
डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
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मैं नहीं कहूँगा
मेरी लेखनी
को आप सदा
पढ़ते रहें
मैं नहीं कहूँगा
कि आप सदा
मेरे बारे में
ही सोचते रहें
हर एक व्यक्ति
अपने छोटे बड़े
संघर्षों से लड़ रहा है
अपनी -अपनी
परिसीमाओं में
खुश रहने की
कोशिश कर रहा है
बच्चों को पढ़ाना
तालिम देना
आज संघर्ष बन गया है
नौकरियाँ और
रोजगार किसी
अंधेरी कोठारी में
बंद हो गया है
महंगाई पर लगाम
कोई लगा सकने को
कटिबद्ध नहीं दिखता है
झूठे वादे के
ताना -बाना से कहो
पेट कहाँ
किसी का भरता है
सब लोग यहाँ
भाग -दौड़
की जिंदगी में
लगे हुए हैं
सब के सब
परेशानियों के
जाल में उलझे हुए हैं
किसे इस हाल में
मैं अपना
राग भैरबी गा गा कर
लोगों को सुनाऊँ
सब के सब तो
उलझे पड़े हैं
किसको अपना मैं
दिल खोलकर दिखाऊँ ?
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डॉ लक्ष्मण झा” परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
एस ० पी ० कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
28.04.2023