*कौन लड़ पाया समय से, हार सब जाते रहे (वैराग्य गीत)*
कौन लड़ पाया समय से, हार सब जाते रहे (वैराग्य गीत)
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कौन लड़ पाया समय से, हार सब जाते रहे
1)
सॉंसें हमें गिन कर मिलीं, खर्च सब होती रहीं
इंद्रियॉं बूढ़ी नियंत्रण, देह से खोती रहीं
चार दिन संसार में सब, देह को गाते रहे
2)
फिर वही किस्से पुराने, दृश्य दोहराने लगे
याद घटनाऍं पुरानी, चित्र सब आने लगे
फॅंस गईं सॉंसें भॅंवर में, यह नियति पाते रहे
3)
कौन वह तन से परे है, जान पाया कौन है
एक शाश्वत तत्त्व भीतर, जो रहा चिर मौन है
खुद को सहस्त्रों वर्ष से, खोजने आते रहे
कौन लड़ पाया समय से, हार सब जाते रहे
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615 451