कौन बोलेगा
मतलबी दुनिया में मीठे बोल कौन बोलेगा,
सब रूठेंगें तो मन की गांठें कौन खोलेगा।
हर कोई ढूंढ रहा है सिर्फ फ़ायदा रिश्तों में,
तो बेटा”खुश रहो मौज करो” कौन बोलेगा।
पता है पांच भाई थे रहें एक साथ जीवन भर,
कि उनमें दो सौतेले थे सौतेला कौन बोलेगा।
प्राणोत्सर्ग की बारी कभी जो आयी घर तेरे,
“मैं जाऊंगा मैं जाऊंगा” बताओ कौन बोलेगा।
अब तो लड़ते हैं भाई से भाई बाप से बेटे भी,
इस कदर लड़ते हो इसे परिवार कौन बोलेगा।
तेरा कर्तव्य है शक्ति’ तुझे तो बोलना होगा,
अगर तू ही नहीं बोला तो फिर कौन बोलेगा।
✍️ दशरथ रांकावत ‘शक्ति’