कौन था वो ?…
कौन था वो ?…
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कौन था वो ?
जिसने चोट की, हमारी अंतरात्मा पर ?
जिसने वेद, गीता व पुराण को,
दरकिनार कर दिया।
हिन्दुस्तान के जमीं पर ही ,
हिन्दूत्व को इनकार कर दिया।
कोई अपने धर्मालय में ,
मनमाफिक धर्म का पाठ पढे़ ,
और कोई अपने ही वतन में ,
गैरों की शिक्षा पद्धति का अनुकरण करें।
कौन था वो ?
जिसने अपना काम,
इतनी बखूबी से करते चले गये,
कि हम मुर्खो की टोली को,
इसे समझने में पचहत्तर साल लग गए ।
अब जाकर असम से वो अलख जगी है कि,
सबके लिए एक समान शिक्षा पद्धति को,
उचित ठहराया जा रहा है।
कौन था वो?
जिसने देश की सांस्कृतिक विरासत को ही,
खोखला करने का काम किया ।
एक तरफ मिशनरी संस्थानों की भरमार,
अल्पसंख्यक शिक्षा संस्थान खोलने की इजाजत ।
तो दूसरी तरफ गुरुकुलो पर प्रतिबंध ,
और विद्यालयों में गीता- रामायण ,
पठन-पाठन की छूट नहीं ।
कौन था वो ?
जिसे सोमनाथ और हिंदुओं के अन्य,
तीर्थस्थल के जीर्णोद्धार पर भी आपत्ति थी।
किसी देश की पहचान उसके ,
सांस्कृतिक विरासत से होती है ।
तब ही तो आक्रांताओं ने ,
आते ही सबसे पहला चोट,
सांस्कृतिक पहचान चिन्हों पर ही किया था।
कौन था वो ?
जिसके गंदी साज़िशों के कारण ,
नवयुग की वर्तमान पीढ़ी ,
अपने उच्छृंखल आचरण ,
और मर्यादाहीन व्यवहार में डुबी हुई,
अपने धर्म एवं संस्कृति से अंजान,
अपने झूठी ज्ञान के दंभ से अभिषिक्त,
अपने सांस्कृतिक धरोहरों और विरासतों से अनभिज्ञ,
नास्तिकतावाद और पाश्चात्यवाद की डोर पकड़,
एक मूल्यविहीन समाज की ओर अग्रसर है।
आखिर कौन था वो?
मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – २५ /१२ / २०२१
कृष्ण पक्ष , षष्ठी , शनिवार
विक्रम संवत २०७८
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