कौन किसी के लिए रोता है
कहीं चाहतों का असर बेशुमार होता है।
पर सच में कौन किसी के लिए रोता है।
बदल भी ले कोई राहें अपनी मर्ज़ी से मगर
काटता वही इन्सान जो वो कभी बोता है।
लफ्ज़ की गहराई कभी कभी आंकी नहीं जाती
कुछ लफ्ज़ों से बस अंत्तर्मन घायल होता है।
प्यार में ही इन्सान डूबा रहे यह नहीं है सही
मातृभूमि का कर्ज भी हमपे बहुत होता है।।।
कामनी गुप्ता ***