{{{ कोहिनूर }}}
क्यों हर रातो को सताते है तेरे ख़्वाब हमे
जो पुछू तुमसे तो क्यों नही देता जवाब हमे
बहुत भागे फिरते रहता है,वो से इश्क़ हमेशा
और तोहफ़े में दे गया इश्क़ की किताब हमे
जो मिलू तुमसे तो खुले गेसुओं में मेरे
गुलाब सज़ा के कहता है गुलाब हमे
जाने कौन सा नशा है तुम्हारी आँखों मे
देखू तो सरूर ऐसा छाता हैं जैसे पिलाई
गई हो शराब हमे
पूछो तो कहता है नही है मोहब्बत तुमसे
फिर भी देता हैं वफाओ का हिसाब हमे
कभी ज़ुबा से मेरी दो तारीफ़ नही करता
लब्ज़ों में लिख के कहता है लाज़बाब हमे
ज़माना मुझे पत्थर समझ ठोकर मरता रहा
एक तेरी मोहब्बत ने दिया है कोहिनूर का
ख़िताब हमे