कोशिश
कुछ कहना चाहता हूं पर कह नहीं सकता,
कुछ करना चाहता हूं पर कर नहीं सकता ,
ज़ुबाँ पर ताले हालातों ने लगा दिए हैं,
ज़माने की बंदिश ने हाथ बांध दिए हैं,
अजीब सी कशमकश के दौर से गुज़र रहा हूं,
बग़ावत की हिम्मत जुटा नही पा रहा हूं ,
अनजान सा ख़ौफ़ ज़ेहन पर तारी है,
कहीं मरासिम टूट न जाऐं ये फ़िक्र भारी है,
बेबस गुमसुम रहकर सब कुछ देखता रहता हूं ,
इस गर्दिश -ए-दौराँ के सफर को जी लेने की
कोशिश में लगा रहता हूं,