“कोशिशें नाक़ाम नहीं होती”
1-
समय अनमोल है,व्यर्थ गँवाना नहीं है,
हार से लज्जाना नहीं,जीत आगे इसके।
कमियों को समझो जी,हौंसले से आगेे बढ़ो,
गिरके उठोगे तुम,गीत आगे जिसके।
गिर-गिर परिंदा भी,नभ की उड़ान भरे,
सीख लीजिएगा ज़रा,होश जागें सबके।
कोशिशें नाक़ाम हों न,फल मिलके रहेगा,
बढ़ते रहना तुम,आगे ही खिल-खिलके।
2-
एक ख़ूबी सबको दी,मालिक उस नेक ने,
पहचानें उसे हम,जीवन सफल हो।
असफल हुए तो क्या,हीन भाव नहीं पालें,
कमी पर पाएँ काबू,जीत दूजे पल हो।
एक रास्ता बंद तो क्या,दूसरा खुलेगा फिर,
दुगने जोश से बढ़ें,हासिल मंज़िल हो।
कठिन राहें जितनी,बड़ी हो जीत उतनी,
देर हो अँधेर नहीं,बड़ा सब्र फल हो।
3-
परीक्षाएँ होंगी देना,तू डरना कभी नहीं,
गिरके फिर उठना,थकना कभी नहीं।
लोग कुछ कहें तो क्या,चलते रहना सदा,
मायूस होकर सुन,रुकना कभी नहीं।
मौसम बदलते हैं,सुबह-शाम होती है,
जीवन भी बदलेगा,टूटना कभी नहीं।
अचल कुछ नहीं है,सत्य संसार का है ये,
बस इतना समझो,भूलना कभी नहीं।
4-
शोहरत मिले बड़ी,खुद को न जान बड़ा,
पर्वत से नभ बड़ा,नभ से रब बड़ा।
वश में कर्म हैं तेरे,तू करता चल सदा,
फल मालिक के हाथ,सोचना न ये अड़ा।
हार पर बहाना क्या,सीखना ज़रूरी सुन,
चोटी पर पहुँचेगा, गौर करले खड़ा।
मानव रहना सदा,सब मिले यहाँ पर,
नशीहत दे अपना,दूसरा देगा लड़ा।
?आर.एस.प्रीतम?