कोविड और आपकी नाक
परंपरा से आपकी नाक
और जुबान
चाहे जिस कदर की भी ऊंची रही हो, उच्चत्व में दीक्षित रही हो
कोविड में उद्दाम उसे न छोड़िए
नियंत्रण में रखिये
रखिये मास्क या अन्य विधियों से
हरहमेशा ढकी सुरक्षित
अपनी नाक वाली पुरखों से ओढ़ीपाई आमद खो भी देंगे
तो कुछ न बिगड़ेगा आपका
आपकी नाक का भी नहीं
बल्कि नाक आपकी स्वाभाविक गति ही वापस पाएगी
छद्म से निकलकर सच्चा जीवन जीने की शय में आकर
आपके अन्य अंगों को स्वाभाविक चलने में
मददग़ार ही होगी बल्कि
और, नाक से उसके तय क्यों से ऐसे जब अलगा सकेंगे
तब भी बाजाब्ता मनुष्य बने रहेंगे आप
बल्कि तब
आपकी नाक अस्वाभाविक अस्वस्थ ऊँचाई खोकर
स्वस्थ सहज साँस भरना सीख पाएगी
सो,
नाक को अपनी
समाज में अपने मनु-रसूख़ के परंपरा-आयातित
नाक से सम्बद्ध मुहावरे से गर्वित कराना छोड़ दीजिए
और,
नाक की रसूख़ भरी ऊंचाई से कोविड या किसी बीमारी से सम्भवतः कोई
रक्षाकवच या बच निकलने का कोई अन्योन्याश्रय संबंध या आश्वासन है भी नहीं
कम से फ़िलवक़्त कोरोना-काल के लिए ही
और
हो सके तो
हर हमेशा के लिए
जीवन में मृत्यु का आभास कराने वाले
आए अचाहे अवसर
नेक गुप्त-सुप्त संदेश भी रखते हैं अपने भीतर
कि मनुष्य बनने के लिए कोई तय समय नहीं होता
मनुष्य बने रहने और मनुष्यता के साथ होने के लिए
अपनी नीयत और नीति जब बदल दो
तभी जीवन का सुनहरा सवेरा!
(18/12/2020)