कोरोना तेरा शुक्रिया
खो गई थी धरती जो ,
प्रगति की कुछ होड़ मे
लाकर कुछ ठहराव दिया
हे कोरोना तेरा शांत शुक्रिया
छा गई थी मैली चादर जो
शहर नाम के जंगल में
धुल कर पावन पाक हुई अब
हे कोरोना तेरा शुद्ध शुक्रिया
थी गई मिट चीं चीं चिड़ियों की
पी पी घर घर के शोर में
चहक मुखरित अब आंगन में
हे कोरोना तेरा गीत शुक्रिया
जीव सभी सब अहम हुए अब
हक सबका अहसास प्रखर अब
मानव सम दया पावें सब
हे कोरोना तेरा न्याय शुक्रिया
सिंह बना जो सिंहासन भींचे
अनर्थ बना था जो अर्थ का पहिया
बेअर्थ बनकर बिखर गया जो
हे कोरोना तेरा स्वस्थ शुक्रिया
सांस लगी फिर लेने धरती
बीच , बडे बोझ के कोलाहल में
तोहफा बढ़ी उम्र इस गोले का
हे कोरोना बारंबार शुक्रिया