कोरोना
कोरोना
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शहर सभी शमशान हो गये।
गाँव ही सब सुनसान हो गये।।
घर में ही अंजान हो गये।
गली रास्ते वीरान हो गये।।
लाशों के बाग़बान हो गये।
बाज़ार बियाबान हो गये।।
घर दुबके हलकान हो गये।
खाली बैठ परेशान हो गये।।
कफ़न चोर दरबान हो गये।
लाश बेच धनवान हो गये।।
चंद सांसों के मेहमान हो गये।
पंजे मौत के बलवान हो गये।।
प्रभु भी अन्तर्घ्यान हो गये!
जानत सब अन्जान हो गये!!
अवसरवादी महान हो गये।
आफ़त की सब जान हो गये।।
धूर्त अब नादान हो गये।
मूर्ख सब ज्ञानवान हो गये।
भविष्य सोच परेशान हो गये!
देख कोरोना क़हर हैरान हो गये।।
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राजेश’ललित
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यह कविता ‘दिशेरा टाईम्स’ में पूर्व प्रकाशित है परंतु अंतिम तीन बाद में लिखे गये।
राजेश’ललित’