कोरोना
सुकून के दिन कब आएंगे ये मंज़र बहुत भयानक है
भूख से तरसती आंखों को कब निवाला नसीब होगा
एक बाप ना जाने कब काल के हाथों मजबूर हो गया
दूसरों का पेट भरने वाला खुद एक रोटी को मजबूर हो गया
तन्हा आये थे जमीं पर तन्हा जाने की ज़िद लिए
ना ही कांधे नसीब हुए ना ही कफन काम आया
वीर कुमार जैन
22 अगस्त 2020 उत्पत्ति दिनांक
26 जून 2021