कोरोना
इक अजब दुविधा है कोरोना…
जीवन को दहशत में संजोना…
रहकर यूं दूर, एकांत भाव से,
खुद के दिल का झांके कोना…
बाहर भीतर,बस एक ही डर,
क्या था पाना , क्या है खोना…
अपनी सीमा, अपना घरोंदा,
जिंदगी हो जैसे एक खिलौना…
पीर मिटे इस जग के जन की,
प्रभु ऐसा करो कोई जादू टोना…
इक अजब दुविधा है कोरोना…
जीवन को दहशत में संजोना…
सुशील कुमार सिहाग “रानू”
चारनवासी, नोहर, हनुमानगढ़, राजस्थान