कोरोना
नाजुके दौर यह कोरोना का, कदापि हितकारी नहीं है |
मतिमारी गई उनकी,जो समझे इसे बीमारी नहीं है ||
दानव सा विकराल रूप, नित ही बढ़ता जाता है |
जब लगे न पाँव में ठोकर, किसको समझ आता है ?
जब तक समझ में आता है, दुनिया से उठ जाता है ||
दूरी बना, बनो आवासी, अब यही समझ में आता है |
“सुमित” देख दूसरों को समझे,जग में ज्ञानी कहलाता है ||
पं. कृष्ण कुमा शर्मा “सुमित”