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4 Aug 2020 · 5 min read

कोरोना वायरस का हवा से फैलना एक बड़ा खतरा है.

कोरोना वायरस का हवा से फैलना एक बड़ा खतरा है.

( विशेष रूप से भीड़, बंद, खराब हवादार सेटिंग्स में एयरबोर्न ट्रांसमिशन की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है)

—प्रियंका सौरभ
आज भारत में कोरोना के मरीज सबसे ज्यादा हो चुके है जो एक बेहद चिंताजनक स्थिति है, हमारे लिए मृत्युदर कम होना ही एक संतोष की बात है जिसकी वजह से हमने आज इससे डरना बंद कर दिया है मगर ये स्थिति इलाज के अभाव में कभी भी करवट ले सकती है .तेजी से फैलते कोरोना संक्रमण पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक एजेंसी ने स्वीकार किया कि कोरोनोवायरस के हवाई प्रसारण से इनडोर स्थानों में खतरा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आख़िरकार यह स्वीकार किया कि कोरोना वायरस संक्रमण के ‘हवा से फैलने’ के सबूत हैं. एजेंसी के वैज्ञानिकों ने एक समाचार ब्रीफिंग में कहा कि विशेष रूप से भीड़, बंद, खराब हवादार सेटिंग्स में एयरबोर्न ट्रांसमिशन की संभावना को खारिज नहीं किया जा सकता है। एजेंसी के मुताबिक इनडोर वातावरण के लिए “उचित वेंटिलेशन” होना बेहद जरूरी है.

क्लीनिकल इंफ़ेक्शियस डिज़ीज़ जर्नल के एक खुले ख़त में 32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने इस बात के प्रमाण दिए है कि ये ‘फ़्लोटिंग वायरस’ है जो हवा में ठहर सकता है और सांस लेने पर लोगों को संक्रमित कर सकता है. यदि किसी संक्रमित मरीज को किसी भी बंद स्थान पर काफी समय तक रखा जाए तो उस स्थान में भी हावी में कोरोना वायरस मौजूद रहेगा और उस हवा के संपर्क में आने से कोई भी कोरोना संक्रमित हो सकता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना है कि संक्रमित व्यक्ति के छींकने और खांसने से निकली छोटी बूंदें काफी देर तक तक हवा में रहती हैं और इससे दूसरो को संक्रमण का खतरा रहता है इसलिए सबको हवा से हुए प्रसार से सतर्क रहने की जरूरत है

भारत के सीअसआईआर के चीफ शेखर सी मांडे ने भी अपने ब्लॉग में इन सभी चिंताओं पर अपनी राय रखी है और विभिन्न स्टडी तथा विश्लेषणों के हवाले से लिखा कि जितने भी सबूत निकले हैं उससे पता चलता है कि कोरोना का हवा से भी प्रसार संभव है। उन्होंने कहा कि ‘यह तो साफ है कि जब लोग छींकते हैं या खांसते हैं तो उससे हवा में बूंदें निकलती हैं। बड़ी बूंदें तो जमीन पर गिर जाती हैं लेकिन छोटी बूदें हवा में काफी समय तैरती रहती हैं। किसी संक्रमित व्यक्ति के छींकने या खांसने से निकलने वाली बड़ी बूंदें तो जमीन पर गिर जाती हैं और यह ज्यादा दूर तक नहीं जाती हैं। लेकिन छोटी बूंदें लंबे समय तक हवा में मौजूद रहती हैं। ये छोटी बूंदे एरोसोल की तरह होती है.

एरोसोल हवा में निलंबित कण है जो धूल, धुंध, या धूम्रपान से बन सकते हैं। वायरस के संचरण के संदर्भ में एरोसोल सांस की बूंदों की तुलना में छोटे (5 माइक्रोन या उससे कम) होते है, सामान्य इनडोर वायु वेगों पर, एक 5 माइक्रोन छोटी बूंद दस मीटर की दूरी तय करती है जो कि एक विशिष्ट कमरे के पैमाने से बहुत अधिक है। ये लंबे समय तक हवा में निलंबित रहते हैं, एक व्यक्ति जो कोरोना पॉजिटिव है, वह छोटे खराब हवादार कमरे में 1-2 मीटर की दूरी पर भी खड़े लोगों को संक्रमित करने की संभावना रखता है। ऐसे वातावरण में रहने वाले लोग इन वायरस को संभावित रूप से एक दूसरे में संक्रमित कर सकते हैं, जिसके परिणामस्वरूप संक्रमण और बीमारी होती है। इसलिए तो कोविद-19 संक्रमण फैलाने वाली सांस की बूंदों ने महामारी की शुरुआत से हमें मास्क पहनना, दूरी रखना, और हाथ धोने की दिनचर्या अपनाने को मजबूर किया है.

छोटी बूंद के रूप में बूंदों और एरोसोल को छोटी बूंदों के रूप में देखने से एक छोटी बूंद और एरोसोल के बीच अंतर का अनुमान लगाया जा सकता है। एक बीमार व्यक्ति के मुंह या नाक से आने वाली बूंदें भारी होती हैं, और छह फीट से अधिक आगे बढ़ने से पहले जमीन पर गिर सकती हैं। तभी तो हम कोरोना से बचने के लिए एक दूसरे के बीच 1.5 मीटर से अधिक दूरी बनाए रखने के लिए जोर दे रहे है। एरोसोल, जो बहुत छोटे होते हैं, लैंडिंग से पहले लंबे समय तक लम्बी यात्रा कर सकते हैं। एरोसोल की कल्पना कुछ हद तक एक शराबी की तरह हो सकती है जो रात में खराब रोशनी वाली सड़क पर चलता जाता है जब तक उसको उस रस्ते से दूर नहीं किया जाता.

ठीक वैसे ही छोटी बूंदों और कणों (व्यास <5 माइक्रोन -10 माइक्रोन) को हवा में अनिश्चित काल तक निलंबित रखा जा सकता है, जब तक कि वे एक हल्के हवा या वेंटिलेशन एयरफ्लो से दूर नहीं किए जाते हैं। यह एक दीवार, फर्नीचर या एक व्यक्ति का शरीर हो सकता है जो इस प्रकार सफलतापूर्वक लोगों को संक्रमित कर सकता है। वायरस का जीवनकाल जो किसी सतह पर गिरता है वह कुछ मिनटों से लेकर कुछ घंटों के बीच कहीं भी हो सकता है। एक हालिया अध्ययन में, यह पाया गया कि सबसे संक्रमित क्षेत्र रोगी क्षेत्र में 1 मीटर-वर्ग वाला मोबाइल शौचालय था। ये भी पाया गया है कि जोखिम वातानुकूलित कमरों में सबसे अधिक है, विशेष रूप से केबिन या पिंजरे जैसे कमरे।

दूसरी ओर विशाल हवादार कमरे, संचरण का कम जोखिम वहन करते हैं। इसका मतलब यह है कि एक आउटडोर सब्जी बाजार एक सुपरमार्केट से अधिक सुरक्षित है और एक सुपरमार्केट एक छोटे डिपार्टमेंटल स्टोर की तुलना में सुरक्षित है; हालांकि यह माना जाता है कि लोग शारीरिक संतुलन के मानदंडों को बनाए रखते हैं। तो अगर आप घर के अंदर हैं, तो अधिकतम वेंटिलेशन सुनिश्चित करने के लिए खिड़कियां खोलें। कोरोनावायरस का एयरबोर्न संचरण संभावित रूप से एक चिंता का विषय है, इसका मतलब है कि वायरस आमतौर पर निकट संपर्क की अनुपस्थिति में यात्रा कर सकता या फ़ैल सकता है।

यह इस संभावना को भी बढ़ाता है कि वायरस हवा की धाराओं पर यात्रा कर सकता है, और यहां तक कि एयर कंडीशनिंग के माध्यम से प्रेषित किया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि सामाजिक दूरी हमेशा प्रभावी नहीं हो सकती है और कोरोना वायरस विशेष रूप से कम वेंटिलेशन के साथ भीड़ वाले इनडोर क्षेत्रों में एक बड़ा खतरा हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन इस मामले में फिलहाल दुनियाभर के अलग-अलग देशों के वैज्ञानिकों के साथ मिलकर इस पर और ज्यादा काम कर रहा है और जानकारी ये जुटाने की कोशिश कर रहा है कि ऐसी और कौन सी जगह है जहां, हवा के माध्यम से कोरोना वायरस फैल सकता है। खैर कुछ भी अभी तक हमें कोरोना के पैदा होने, फैलने और खत्म होने के बारे सही जानकारी नहीं मिल पाई है. इसलिए सावधानी ही बचाव है.

– —प्रियंका सौरभ
रिसर्च स्कॉलर इन पोलिटिकल साइंस,
कवयित्री, स्वतंत्र पत्रकार एवं स्तंभकार,

Language: Hindi
Tag: लेख
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