कोरोना-मास्क और पहनने का जज्बा!!
मास्क को मास्क रहने दो, इसका हार ना बनाईए,
हां दूरियां नहीं सदा अच्छी, किंतु थोड़ी सी तो अपनाईए,
सरकारी भरोसे रहना नहीं भाई, सरकारी व्यवस्थाएं हैं चरमराई,
एक अनार और सौ बीमार, यह किस्सा तो सुना है न भाई,
तभी तो बार बार कह रहे हैं,कम निकला करो घर से बाहर भाई,
अपनों पर इतना तो करम कर लो, मास्क को तुम पहन लो भाई
बिना मास्क के पहनने से हो रही है रुसवाई,
मास्क को मास्क समझ कर पहनो, इसे लटकाते क्यों हो भाई,
मास्क को मास्क रहने दो, इसे हार ना बनाओ भाई!!
ये बड़ी बे रहम है बिमारी, जो बन गई है अब महामारी,
मरने पर हो नहीं रही नसीब, अपनों की भी कंधाई,
बड़े बेआबरु होकर की जा रही ,जनाजे की फिंकवाई,
दवाओं का अभी तक तो, ट्रायल ही चल रहा है,
ट्रायल की सफलता पर ही, निर्भर है बननी इसकी दवाई भी,
इसी लिए तो कहा जा रहा है हाथों को जोड़कर के भी,
चला करो जब भी घर से अपने, पहना करो मास्क को भी,
मास्क को मास्क मान कर पहनो,ना लटकाओ बना कर हार,
थोड़ी सी तो निभालें हम भी, अपनी जिम्मेदारियों को यार,
मास्क को मास्क रहने दो, मास्क का हार ना बनाइए!!
जो हाथ तुमने मिलाया है,तो धोने की भी करो कोशिश,
ये जीवन है अनमोल बहुत,अपने और अपनो के लिए करो महसूस,
इसका यूं माखौल ना उडावो,मास्क को मास्क की तरह पहनो,
मास्क को मास्क रहने दो मास्क का हार ना बनाओ!!
हमारी सलामती में ही हमारा परिवार सुरक्षित है,
जो हम हैं सुरक्षित तो,परिवार भी सुरक्षित है,
हम यदि सुरक्षित हैंतो,हमारा आस पढोस सुरक्षित है,
पास पढोस सुरक्षित है तो,पूरा समाज सुरक्षित है,
किसी की भी असावधानी से यह वायरस फैलने ना पाए,
मान लीजिए बात भाईयों, मास्क पहन कर भी दिखलाइए,
मास्क पहनने से इतना भी अब ना शरमाईए,
मास्क को मास्क रहने दो,मास्क का हार ना बनाइए!!