कोरोना माई
भक्तों की दुनिया में लोगों एक नई माता आई।
सभी जनों के संकट हरने प्रकट हुई है सुखदाई।
छुटकारा देने आई है कोरोना महामारी से –
भक्तों ने ही नाम दिया है उसको कोरोना माई।
नौ लड्डू का भोग लगाते नौ ही फूल चढ़ाते हैं।
धूप दीप से करें आरती भजन भक्ति से गाते हैं।
विधि विधान से पूजन करते करें प्रार्थना देवी से-
कष्ट हरो कोरोना माता ये फरियाद लगाते हैं।
कोरोना माता की सबने कथा अनोखी बतलाई।
गाय एक खेतों में चरती महिलाओं के पास आई।
नारी रूप किया धारण पल में फिर उस गौ माता ने-
अपना परिचय दिया कहा कि मैं हूं कोरोना माई।
मैं तुम सबके रोग हरूंगी दुःख संताप मिटाउंगी।
तुम सबके जीवन में खुशियां जीवन भर बरसाउंगी।
मेरी पूजा करो विधि से औरों को भी प्रेरणा दो –
फैली है जो महामारी मैं उससे मुक्ति दिलाउंगी।
कितनी अंधभक्ति फैली है कैसी ये अफ़वाह चली।
आज अंधविश्वास की दुनिया एक नई फिर राह चली।
नाम दे दिया है देवी का एक वैश्विक महामारी को-
आंख मूंदकर सच से दुनिया करने एक गुनाह चली।
रिपुदमन झा “पिनाकी”
धनबाद (झारखण्ड)
स्वरचित