कोरोना बिमारी नहीं महामारी
जानें ये कोई भयंकर बिमारी है, या कोई रूष्ट होती दैवीय माया है,
चीन के वुहान शहर से आई ये महामारी, या कोई काली छाया है।
सम्पूर्ण विश्व में इसका कहर जारी है, हर तरफ बस रोना ही रोना है,
सुरसा की तरह ज़िंदगियों को लीलती,ये वैश्विक बिमारी कोरोना है।
सचमुच ये महामारी जो सबको, ज़िन्दगी से जंग करना सिखाती है,
मास्क लगाना, प्रक्षालक इस्तेमाल, सामाजिक दूरियाँ बतलाती है।
पाश्चातय संस्कृति को ही अपनाकर हम, कोरोना को दावत दे रहे हैं,
भारतीय सभ्यता,संस्कृति,संस्कार, प्रणिपात करना हमें सिखाती है।
स्वास्थ्य और प्रशासनिक कर्मी सभी, अपने अपने फर्ज निभाते हैं,
अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए, हम सबकी जान बचाते हैं।
पर कुछ उपद्रवियों के आँखों का पानी, सूखकर बेहया हो गया है,
ये देशद्रोही अराजक तत्व, इन कर्मवीरों को पत्थर मार भगाते हैं।
अपनें जीवन में हमें हरपल सजग रहना है, ना डरना ना घबराना है,
थोड़ी सी एहतियात बरतकर, इस बिमारी को जड़ से मिटाना है।
कोरोना योद्धाओं, स्वास्थ्य कर्मियों, सजग प्रहरियों का कर सम्मान,
हमें अपने साथी घर, परिवार, समाज, और देश को भी बचाना है।
ऐसे ही रणधीरों, निगहबानों से, आज खिल रहा हमारा चमन है,
हे भारत के वीर सपूतों, सभी देशवासियों की ओर से तुझे नमन है।
?? मधुकर ??
(स्वरचित रचना, सर्वाधिकार©® सुरक्षित)
१५/१२/२०२०,
अनिल प्रसाद सिन्हा ‘मधुकर’
ट्यूब्स कॉलोनी बारीडीह,
जमशेदपुर, झारखण्ड।