Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Apr 2020 · 5 min read

कोरोना पर भारी पड़ी एक गलती और मौत के आगोश में जिंदगी

दोस्तों आज मैं आपको अपने दिल की बात कहना चाहता हूं मैं किसी पार्टी या किसी कौम के समर्थन की बात नहीं कह रहा हूं न किसी कौम की खिलाफत कर रहा हूं और नहीं इस तरह के विषयों पर लिखना पसंद करता हूं मैं तो प्यार मुहब्बत की बात अपने तरीके से कहने वाला एक साधारण सा इंसान हूं और जहां हूं वही पर खुश हूं आज कुछ देख कर अपने दिल की बात आप सभी से शेयर करने का दिल किया तो कलम उठा ली मगर सही तरीके से अपनी बात आपके सामने रख पाऊंगा या नहीं ये लेख आप तक पहुंचेगा या डस्टबिन में चला जाएगा ये तो पुरा होने के बाद ही पता चलेगा । आपसे सिर्फ एक गुजारिश है की अगर यह लेख आपके हाथों में है तो इसे पुरा पढ़ने के बाद ही इसपर अपनी कोई भी राय कायम करें आपको सही लगे तो सही कहें और यदि गलत लगे तो भी बेशक गलत कहें ।
मेरी एक बात बल्कि मरकज वाले हादसे के बाद की जो भयावह तस्वीरें सामने आई उन्हें देख कर दिल दहल उठा , की कोई व्यक्ति चाहे पढ़ा लिखा हो या अनपढ़ ऐसी हरकत कैसे कर सकता है कि हजारों और लाखों अपने ही लोगों …… अपने ही मजहब के लोगों की जान खतरे में कैसे डाल सकता है ……. कैसे मौत को आप लोगों के घरों तक पहुंचा सकता है …. वो भी कोई और नहीं बल्कि आपका अपना , जिस पर आप आंख मूंद कर भरोसा करते हैं उसकी कहीं पर बात चाहे सही हो या ग़लत उसे पुरा करने में अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं ……. और जरा सोच कर देखिए ऐसे लोग जिन्हें आप लोग अपना नायक मानते हैं वो आपको किस तरह इस्तेमाल करते हैं और जब आपको उनकी जरुरत होती है तो वे कहां होते हैं । आज मौत को आपके घरों मुहल्लो तक भेज कर आपकी परेशानी के समय न जाने कहां जाकर छुप गया है ऐसे लोग सिर्फ आप के मज़हब में ही नहीं बल्कि हर मज़हब में होते हैं जहां से अपनी अपनी दूकानदारी चलाते हैं और चाहे हिन्दू हो या मुसलमान ऐसे लोगों का कोई मज़हब नहीं होता चाहे आप लोगों का मौलाना हो या हिन्दूओं का कोई ढोंगी साधु मैं आपसे एक बात पुछना चाहता हूं कि हिन्दू जब किसी ढोंगी साधु को सबक सिखा कर जेल की हवा खिला सकता है तो आप लोग ऐसे लोगों को सबक क्यों नहीं सिखा सकते ? क्या ये आपका अधिकार नहीं है ??
क्या ऐसे लोगों को बचाना आपकी मजबूरी है ??? नहीं
ये आपकी कोई मजबूरी नहीं बल्कि कमजोरी है क्योंकि इन जैसे ढोंगी मौलवियों और साधुओं ने हमारे दिमाग पर जन्नत और दोजख , स्वर्ग और नरक का डर दिखाकर अपनी बातों से हमारे दिमाग पर कब्जा कर लिया है और अपने भड़काऊ तकरीरों प्रवचनों और भाषणो से हमें मजबूर कर देते हैं ,और हम विवस हो जाते हैं उनकी बात मानने के लिए। हम मजबूर हो जाते हैं अपनी बरसों से चली आ रही अपनी संस्कृति,सभ्यता,अपनापन,भाईचारा
भूल कर आपस में लड़ने लगे हैं इन कौम और धर्म के ठेकेदारों ने हमें आपस में ही बांट कर रख दिया है और हमें एक दूसरे के सामने दुश्मन की तरह खड़ा कर दिया है। हमने भी आशाराम , राम रहीम और इनके जैसे पाखंडीयों को सबक सिखाया है और जेलों की हवा खिलाई है तो आप भी क्यों नहीं आप भी तो सही ग़लत का फैसला स्वयं कर सकते हैं
दोस्तों हमें हिन्दू मुसलमान का चश्मा
उतार कर इतना देखना है की यह बात हमारे परिवार के लिए नुकसानदायक है या फायदेमंद किसी पर भी अंधा यकीन करने की बजाय सोचें देखें परखें सही हो तो जरूर सहमत हो और यदि गलत लगे तो पुरजोर विरोध करने की हिम्मत हममें हो हम जब मर कर उस‌दुनिया में जाएंगे तो वह शक्ति आपके कर्मों का हिसाब मांगेगी , नहीं मौलाना के लिए किए गए काम आपके काम आएंगे न ये मौलाना अपनी नेकियां आपकी झोली में डाल देंगे।
‌मरकज के इन मौलानाओं ने दिल्ली से बाहर अलग अलग जगहों पर जाकर आपको आपके परिवार को आपके अपने लोगों को कोरोना के रुप में मौत बांटी है और आपके घरों में आपके मुहल्लावासियों में कोरोना का जहर फैला कर आपके सारे परिवार को मौत के मूहाने पर लाकर खड़ा कर दिया है । भगवान ना करे अल्लाह ना करें आप अपने किसी चहेते को कोरोना की मौत से मरते देख पाएंगे और आपका कोई अज़ीज़ मौत के मुंह में चला गया तो ये मौलाना उसकी भर पाई कर पाएंगे ? सालों से ये पाखंडी मौलाना व साधु हमें आपस में लडा कर अपनी दूकान दारी चला रहे हैं हमें धर्म के नाम का जहर पिलाकर हमारी भावनाओं से खिलवाड़ कर रहे हैं। और ये भी उतना ही बड़ा सच है की किसी एक की बेवकूफियों की सजा पुरी कौम को भुगतना पड़ता है । कुछ लोग इसे राजनीतिक कारणों से भी जोड़ने लगे हैं पर अभी हमारा मकसद ‌अपनो की जान बचाना है कोरोना की इस भयावह मौत के पंजों से अपनों को खिंचकर लाना है और जल्द से जल्द कोरोना को निकाल फेंकना है क्योंकि ये वायरस हिन्द मुस्लिम सिख ईसाई कुछ नहीं देखता सभी पर समान हमला करता है और अपना शिकार बनाता है दोस्तों लड़ने के लिए सारी उम्र बाकी है पुरी शिद्दत से लड़ लेंगे फिर कभी
अभी तो हमारे अपने देश ….हमारे अपने वतन पर जो मौत का भयानक साया मंडरा रहा है उसे अपनी शरहदों से निकाल फेंकना है क्योंकि वतन जितना हमारा है उतना ही आपका है बस अनुरोध है तो बस इतना की किसी के बरगलाने में न आए प्रशासन जब हर तरह से हमारे साथ है हमारी हर तकलीफ में हमारे साथ खड़ा है डाक्टर वह पूरा मेडिकल स्टाफ जान की परवाह न करते हुए दिन रात सबकी जान बचाने में लगा हुआ है और भी बहुत सारे विभाग अपने अपने फर्ज पुरा करने में जूटे है तो हम भी नियमों का पालन करें एक साथ मिलकर एक दूसरे का सहयोग करें और दुनिया को दिखा दें की हम एक ही वतन के बेटे हैं एकही जान हैं बस और कुछ नहीं कहना आपसे ….. हम हाथ बढ़ा कर खड़े हैं इसी उम्मीद और विश्वास में की इस लड़ाई में आप भी हमारे साथ है और हम सब मिलकर ही कोरोना से लड़ेंगे । और हां सबसे जरुरी बात किसी के बहकावे में आकर अपनी व अपने परिवार के किसी भी सदस्य की जान जोखिम में नहीं डालेंगे तभी हम अपने वतन का कुछ कर्ज अता कर पाएंगे । और अपने और अपने मित्रों वो पड़ोसियों की कोरोना से जान की हिफाजत कर पाएंगे ।
******************************************

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Comments · 380 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
#बेबस लाचारों का
#बेबस लाचारों का
Radheshyam Khatik
क्यों सिसकियों में आवाज को
क्यों सिसकियों में आवाज को
Sunil Maheshwari
तेरी सूरत में मोहब्बत की झलक है ऐसी ,
तेरी सूरत में मोहब्बत की झलक है ऐसी ,
Phool gufran
*योग दिवस है विश्व में, इक्किस जून महान (पॉंच दोहे)*
*योग दिवस है विश्व में, इक्किस जून महान (पॉंच दोहे)*
Ravi Prakash
"रूप" की गली से आरंभ होकर "नर्क" के गलियारे तक का मर्म बताने
*प्रणय*
अब नये साल में
अब नये साल में
डॉ. शिव लहरी
Dr Arun Kumar Shastri
Dr Arun Kumar Shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
इंसान का स्वार्थ और ज़रूरतें ही एक दूसरे को जोड़ा हुआ है जैस
इंसान का स्वार्थ और ज़रूरतें ही एक दूसरे को जोड़ा हुआ है जैस
Rj Anand Prajapati
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/171.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
आज भी मुझे मेरा गांव याद आता है
Praveen Sain
The emotional me and my love
The emotional me and my love
Chaahat
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
संग दीप के .......
संग दीप के .......
sushil sarna
"भेद-अभेद"
Dr. Kishan tandon kranti
*An Awakening*
*An Awakening*
Poonam Matia
आप में आपका
आप में आपका
Dr fauzia Naseem shad
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
लिख के उंगली से धूल पर कोई - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
प्रदूषण
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
मां
मां
Shutisha Rajput
गम भुलाने के और भी तरीके रखे हैं मैंने जहन में,
गम भुलाने के और भी तरीके रखे हैं मैंने जहन में,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
कदीमी याद
कदीमी याद
Sangeeta Beniwal
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
संस्मरण #पिछले पन्ने (11)
Paras Nath Jha
Friend
Friend
Saraswati Bajpai
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
बेवफाई उसकी दिल,से मिटा के आया हूँ।
पूर्वार्थ
दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया
दो वक्त के निवाले ने मजदूर बना दिया
VINOD CHAUHAN
मेरे प्यारे लोग...
मेरे प्यारे लोग...
Otteri Selvakumar
प्यार
प्यार
Shriyansh Gupta
जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
जलियांवाला बाग काण्ड शहीदों को श्रद्धांजलि
Mohan Pandey
जीवन
जीवन
लक्ष्मी सिंह
शिक्षक सम्मान में क्या खेल चला
शिक्षक सम्मान में क्या खेल चला
gurudeenverma198
Loading...