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19 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना तुम कब जाओगे

मुश्किल में जान है हर शख्स परेशान है
मुंह पे लगे है ढक्कन सांस लेना कहां आसान है

इस घोर संकट से मुक्ति कब दिलाओगे
बस एक ही प्रश्न है कोरोना तुम कब जाओगे

रिश्ते नाते खंड खंड हैं काम धंधे सब बंद हैं
छीन ली आजादी हमसे ज़िन्दगी जैसे नजरबंद है

हमारे पैरों में पड़ी ये बेड़ियां कब हटाओगे
बस एक ही प्रश्न है कोरोना तुम कब जाओगे

ना इलाज कोई निश्चित है ना कोई दवा अभी सुनिश्चित है
इस ग्लोबल महामारी से सारी दुनिया चिंतित है

अस्त व्यस्त जनजीवन को फिर पटरी पर कब लाओगे
बस एक ही प्रश्न है कोरोना तुम कब जाओगे

निजी, सरकारी और धार्मिक सभी समारोह स्थगित हुए
दुनियादारी के सब कर्मकांड कोरोना से प्रभावित हुए है

सार्वजनिक स्थानों पर लगे ये ताले कब खुलवाओगे
बस एक ही प्रश्न है कोरोना तुम कब जाओगे

शिक्षा जैसे राह भटक गई कितनी परीक्षाएं लटक गई
थमे वाहनों और कारखानों के पहिए अर्थव्यवस्था अटक गई

उजड़ रहे इस चमन में फिर से बहार कब लौटाओगे
बस एक ही प्रश्न है “अर्श” कोरोना तुम कब जाओगे

Mohd Azeem ‘Arsh’
Pilibhit, UP

10 Likes · 47 Comments · 706 Views
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