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4 Jan 2021 · 1 min read

कोरोना को हराने की ठान लो

अब इस कोरोना को हराने की ठान लो,
खुद को घर में ही बहलाने की ठान लो।
लाशों के ढ़ेर लग जाएंगे लापरवाही से,
दूरियां एक दूजे से बढ़ाने की ठान लो।

बाजारों की रौनकें बाद में लौट आएंगी,
तुम खुद को जिंदा बचाने की ठान लो।
जिंदगी बची तो खूब जश्न मनाना तुम,
अभी कोरोना से डर जाने की ठान लो।

अदृश्य है दुश्मन समझदारी से काम लो,
घर में रहकर इसे दूर भगाने की ठान लो।
धर्म मजहब और जाति नहीं देखता है ये,
एक दूजे को यह समझाने की ठान लो।

कफ़न तक नसीब नहीं होने देता है ये,
इससे खुद को तुम छिपाने की ठान लो।
चार कंधे भी नहीं मिल पाएंगे सोच लो,
बस सावधानियां अपनाने की ठान लो।

मदिरापान के चक्कर में अंधे मत बनो,
मरीजों की संख्या घटाने की ठान लो।
वो “सुलक्षणा” भी निकली नहीं घर से,
कलम उसकी तरह चलाने की ठान लो।

©® डॉ सुलक्षणा अहलावत
रोहतक (हरियाणा)

42 Likes · 115 Comments · 1939 Views
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