कोरोना और बचाव
सोचा था किसने एक दिन देश में ऐसे आयेंगे,
थम जायेगी रफ़्तार हमारी हम बेबस हो जाएंगे,
प्रकृति हमारे हाथों में है कुछ भी कर सकते हैं,
पूंजीवाद के दम्भ विचार पल भर में ढह सकते हैं,
जीवन की सच्चाई को इतना भी मत मोड़ो तुम,
मनुष्य प्रकृति के सम्बन्धों को न समझी से तोड़ो तुम,
समय अभी है विश्व पटल पर मंथन की तैयारी हो,
प्रकृति सुरक्षा के निमित्त बैठक पे बैठक जारी हो,
रोजी-रोटी रोजगार पर मिलकर सभी प्रयास करें,
मानवता के लिए खड़े हों न कोई बहस बेकार करें,
वर्तमान का ध्यान रहे नियमों शर्तों के साथ रहें,
घर से बाहर न निकले न हाथों में किसी का हाथ रहे,