कोरोना का काल
जीवन दूभर हो गया, कोरोना का काल।
प्राण वायु को क्षीण कर,तड़पाया बेहाल।
तड़पाया बेहाल,दवाओं का है टोटा।
जल बिन तड़पत मीन, वायरस
है यह खोटा।
कहें प्रेम कविराय,दुखी है इससे ही मन।
बिन औषधि के प्राण, करे नित दूभर जीवन।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
वरिष्ठ परामर्श दाता, प्रभारी रक्तकोष
जिला चिकित्सालय, सीतापुर