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30 Dec 2020 · 1 min read

“कोरोना”- सबक जीवन का

“कोरोना “- सबक जीवन का
********
कोरोना का हुआ आगमन ;
सकल विश्व में पसरा क्रंदन
समय- चक्र ने क्या रूप धरा !
क्यूँ जहरीली हो गयी हवा !?
हल इसका बतलाये कौन
क्या धरती का है मुखरित मौन!?
सोचो-सोचो कुछ ध्यान धरो ,
हैं बंद नयन अब तो खोलो!
तेरा-मेरा और अपना-पराया,
जब तक जीवन बस यही गीत गाया!
समय- चक्र का देखो वार ;
अपनों से अपने दूर हुए ,
अब दूरी में ही छुपी भलाई!
वसुंधरा की वो करूण पुकार
की अनसुनी तुम्हें दया ना आयी!?
पिंजरे में पंछी बंद रखते हो
अपने मन को बहलाने को!
अब कैद तुम्हारा जीवन है
सम्मान करो हर जननी का;
हो माँ चाहे धरती- माता ।
है क्रूर कोरोना आया ये
कटु सत्य समझाने को ।।
©️®️ पल्लवी रानी
पूर्णतः मौलिक स्वरचित रचना
कल्याण (महाराष्ट्र)

25 Likes · 65 Comments · 863 Views

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