कोरोना काव्य प्रतियोगिता ” कंटेजियन” शीर्षक
सुना है, कोरोना’ नया नही है,
पुराना है,
देखना है ‘ गर सच्चाई,
तो मूवी कंटेजियन को देख आना है,
औ’ वायरस की कथा तो,
अपने भारत मे भी नई नही,
उसका भी इतिहास पुराना है,
जब शक्ति का वायरस, इंसान को सताता था,
अश्वमेध का अश्व,
छोड़ आता था,
और 14 दिन तक चलने वाली,
महाभारत की कथा से,
भला कौन अनजान,
लाखों जाने ले बीता था,
ये अदृश्य वायरस,
अजी दूर क्यों जाते हैं,
ये इतिहास नही बहुत पुराना है,
‘धर्म’ नाम का वायरस,
बंटवारा करा कर ही माना था,
परिणाम, रक्तपात,
और लाखों जानों का जाना था,
हर युग मे ‘वायरस’
नए नामों से अवतरित हो जाता है,
वजह चमगादड़ हो,
धर्म हो, लालसा हो,
जानें तो ले ही जाता है,
आता है, सबक सिखाने,
पर शायद नही सिखा पाता है,
तभी तो—–
बदली शक्लों, बदले नामों के साथ,
फिर-फिर लौट आता है।
रश्मि सिन्हा
पूर्णतः मौलिक और अप्रकाशित रचना
27-12-2020