कोरोना काल
********* कोरोना काल ***********
********** कुण्लियाँ ************
1
काल समय की बात है,बदलें बात असूल
जैसा भी वक्त आए ,करें वैसे कबूल
कहते थे सब लोग,सभी को होगा जाना
अकेले जगत भोग ,अकेले ही तुम जाना
डरे सभी है लोग , आया यहाँ कोरोना
कैद हुए हैं लोग , इंसान बना है खिलौना
एक साथ प्रस्थान, संपर्क का बढ़ा जाल
सतर्क हो नादान, छा गया रूप विकराल
2
सोच – विचार कदम रखें,है कोरोना काल
पग पग संकट है छाये,काल बना विकराल
श्रेष्ठ घर परिवार , घर पर ही करें आराम
संभाले घर संसार, त्यागिए शेष तुम काम
प्रातःकाल से रात,घर पर कर काम अपार
महामारी की घात,करिए तुम सोच विचार
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)