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19 Jun 2021 · 3 min read

कोरोना काल में अध्यापक की चुनौतियां एवं समस्याएं:

कोरोना काल में अध्यापक की चुनौतियां एवं समस्याएं:

अध्यापक शिक्षण भाव मन मे लिये प्रखर प्रकाश पुंज का सेवासंकल्प लिये शिक्षा सेवा के उत्तरदायित्व का निर्वहन तत्परता से कर रहे है। हर आंखो से सपने देखने वाले अपने हुनर, तजुर्बा प्यार दुलार तत्परता के साथ अपने विद्यार्थियों को ऑन लाइन शिक्षित करते आ रहे है। अध्यापक में छात्र के अंतर्मन को पढ़ उसके संकल्प को पूरा करना सदैव रहता है ताकि वो ना तो कभी, ना ही शिक्षा कार्य कभी रुके, उसको पौड़ा हो उसके छात्र की जी रहती है कि अब कैसे वह पढ़ पायेगा। कोरोना के इस काल में पूरा समय छात्र की शिक्षण प्रणाली शिक्षक तनमन से लगा है। गुरु शब्द से शिक्षण भाव को क्रियाशीलता झलकती है जो अपने कर्तव्य के प्रति सच्ची निष्ठा का भाव व आत्मविश्वास लिए छात्रों का पूरे मनोयोग के शिक्षण कार्य २४ घंटे करते है। काम के प्रति ईमानदारी कर्तव्य के प्रति निष्ठा का मापदंड लिए अध्यापक अपनी सेवाएं तत्परता के साथ दुनिया के हर देश भर जी जान से लगे हुए हैं। इतनी तत्परता के साथ सेवा कार्य करते हैं तभी हमारे प्रथम राष्ट्रपति के जन्मदिवस को अध्यापक दिवस को अध्यापक दिवस के रूप में मनाया जाता है क्योंकि वे स्वयं एक अध्यापक थे तो उसके मनोभाव को अच्छे से समझते थे।
इतना आसान नहीं है कोरोना काल में हर अध्यापक का पर्सनल फोन नंबर भी हर बच्चे के घर तक चला गया है जिसके कारण अब अध्यापक चौबीसों घण्टे कभी भी उनके हर प्रश्न का उत्तर दे रहा है। उसकी अपनी व्यक्तिगत जीवन शैली बहुत प्रभावित हो रही हैं अध्यापक के बारे में न तो हमारी सरकार ने, न ही मातापिता ने, न ही स्कूल ने कभी ध्यान दिया है। आज में आप सभी से प्रश्न करना चाहती हूँ क्या अध्यापक को सराहना की जरूरत नहीं है क्या उसको उचित सम्मान की जरूरत नहीं।
आज वर्तमान समय में महामारी में अध्यापक जीजान से पठन पाठन कार्य में लगे है जबकि लॉक डाउन में फीस पूरी न आने के कारण विद्यालय पूरा वेतन तक नहीं दे पा रहे कोरोना के संकट के समुन्दर में उनको पारिवारिक जरूरतें पूरी हो उसके लिए वो जीजान से लगा है। निजी
स्कूलों में तो अध्यापक से क्षमता से लेते हैं।

अध्यापक के पास समस्याओं का अंबार तो लगा हुआ है, ऑन लाइन पढ़ाई करना बहुत बड़ी चुनौती हैं परंतु उनका समाधान भी अध्यापक ने निकाला है। जिंदगी की सबसे बड़ी समस्या शिक्षण का भार अध्यापक के ही पास होता है। शिक्षण की नई-नई तकनीकीयों की चुनौतियों का सामना कर अपने गुरुत्व को तटबंध लिए सदैव सेवा के लिए तत्पर रहते है। किसी भी अध्यापक के लिए ये सब करना आसान नहीं था परंतु फिर भी कर दिखाया व दुचारू रूप से लगातार शिक्षा दी। आज शिक्षण सेवा अध्यापक की सबसे बड़ी चुनोती हैं। आज उनके पवित्र काम में कभी-कभी जलालत भी होती है। आज अक्सर मातापिता कहते भी मिल जायेंगे कि हम फीस किस बात कि दे हमारे बच्चे तो स्कूल जा ही नहीं रहे हैं अध्यापक करते ही क्या है ऑन लाइन पढ़ाई नहीं हो पाती है जबकि दूसरी ओर आज अध्यापक में ही लगता है। वह अपने परिवार को भी समय नहीं दे पा रहे है। उनका हर पल शिक्षण कार्य मे हो लग रहा है। ऑन लाइन शिक्षा देना अध्यापक के लिए आसान नही रहा।तो आइए आज से अध्यापक को उचित सम्मान दे उनकी परेशानियों को समझे।बस रक अद्यापक समाज से ज्यादा कुछ नही चाहता।आओ मिलकर काम करते हैं देश के भावी भविष्य के लिए।
डॉ मंजु सैनी
गाजियाबाद

Language: Hindi
Tag: लेख
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