Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2020 · 1 min read

“कोरोना” एक वैश्विक आपात

ऐ ज़िंदगी तू कुछ इस कदर सिमट गई है।
दिल चाहता है आसमा को छू लू ,
लेकिन घरों में कैद होकर रह गयी है ।
ऐ ज़िंदगी तू कुछ इस कदर सिमट गई है।

आज हवाऐं भी पहरा लगाएं बैठी हैं,
अपनों को अपनों से दूर किये बैठी हैं।
सब की ज़िंदगी रुक सी गयी हैं,
ऐ ज़िंदगी तू कुछ इस कदर सिमट गई है।

हर तरफ सन्नाटा पसरा,
छाया अन्धकार है,
हर गली सुनी सी हो गई,
लाशों की भरमार हो गयी।
ऐ ज़िंदगी तू कुछ इस कदर सिमट गई है।

चाह मिलन की सबके भीतर,
कोई कही न रुकना चाहे,
जीवन के सन्नाटे को छोड़
अपनों के पास पहुँचना चाहे,
पर ये ज़िंदगी की गाड़ी अब थम सी गयी है।
ऐ ज़िंदगी तू कुछ इस कदर सिमट गई है।

अगर पहुँचना चाहो अपनों तक,
तो कदम न एक बढ़ाना यारों
कैद कर लो कमरे में खुद को,
क्योंकि वैश्विक आपात लागू हो गयी है।
ऐ ज़िंदगी तू कुछ इस कदर सिमट गई है।

अमित राज
व्याख्याता हिंदी

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 545 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
ശവദാഹം
ശവദാഹം
Heera S
4781.*पूर्णिका*
4781.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेटा-बेटी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...
बेटा-बेटी दिवस की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ...
डॉ.सीमा अग्रवाल
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
तन्हाई में अपनी परछाई से भी डर लगता है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
Dr arun kumar शास्त्री
Dr arun kumar शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
जीवन में ईनाम नहीं स्थान बड़ा है नहीं तो वैसे नोबेल , रैमेन
Rj Anand Prajapati
दिल कि गली
दिल कि गली
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
*अब न वो दर्द ,न वो दिल ही ,न वो दीवाने रहे*
*अब न वो दर्द ,न वो दिल ही ,न वो दीवाने रहे*
sudhir kumar
रिश्तों की कसौटी
रिश्तों की कसौटी
VINOD CHAUHAN
प्रेम में अहंम नहीं,
प्रेम में अहंम नहीं,
लक्ष्मी सिंह
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
ध्यान सारा लगा था सफर की तरफ़
अरशद रसूल बदायूंनी
*सीखो जग में हारना, तोड़ो निज अभिमान (कुंडलिया)*
*सीखो जग में हारना, तोड़ो निज अभिमान (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
कविताएं
कविताएं
पूर्वार्थ
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
आज के बच्चों की बदलती दुनिया
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वो बचपन था
वो बचपन था
Satish Srijan
इंतज़ार का मर्ज है संगीन
इंतज़ार का मर्ज है संगीन
Chitra Bisht
..
..
*प्रणय*
दादी की वह बोरसी
दादी की वह बोरसी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
यादों को कहाँ छोड़ सकते हैं,समय चलता रहता है,यादें मन में रह
यादों को कहाँ छोड़ सकते हैं,समय चलता रहता है,यादें मन में रह
Meera Thakur
बेईमानी का फल
बेईमानी का फल
Mangilal 713
হরির গান
হরির গান
Arghyadeep Chakraborty
मुझको चाहिए एक वही
मुझको चाहिए एक वही
Keshav kishor Kumar
श्री राम वंदना
श्री राम वंदना
Neeraj Mishra " नीर "
*होली*
*होली*
Dr. Priya Gupta
"" *श्रीमद्भगवद्गीता* ""
सुनीलानंद महंत
Shankar Dwivedi (July 21, 1941 – July 27, 1981) was a promin
Shankar Dwivedi (July 21, 1941 – July 27, 1981) was a promin
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
एक होस्टल कैंटीन में रोज़-रोज़
Rituraj shivem verma
अपना सा नाइजीरिया
अपना सा नाइजीरिया
Shashi Mahajan
कैसे भूलूँ
कैसे भूलूँ
Dipak Kumar "Girja"
"वरना"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...