कोरोना(दोहा ग़ज़ल)
दोहा ग़ज़ल
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कोरोना का है कहर, जूझ रहा संसार
अनजाने में हो रहे, इसके लोग शिकार
रहो बनाकर दूरियाँ, मुँह पर पहनो मास्क
कोरोना का रोकना, ऐसे हमें प्रसार
सब खुद को कर लीजिये,अपने घर में बन्द
कोरोना का बस यही, रोकथाम उपचार
पानी को करना नहीं, है हमको बर्बाद
हाथों को ये ध्यान रख, धोना बारंबार
हाथों को बस जोड़कर, सबको करो प्रणाम
हाथ मिलाने के नहीं,अपने हैं संस्कार
करनी है उसकी मदद, पूरा रखकर ध्यान
आसपास में गर दिखे, भूखा या बीमार
इक दूजे से दूर रह, टूटेगी जब चेन
हो जाएगी पूर्णतः, कोरोना की हार
कोरोना ने दी दिखा, मानव की औकात
धरती नभ भी जीतकर, आज खड़ा लाचार
नीला नभ निर्मल नदी,खिली चाँदनी धूप
कोरोना का ये कहर , लाया नई बहार
कोरोना से लड़ रहे, जो भारत के वीर
साधारण मानव नहीं, ईश्वर के अवतार
कोरोना की मार ने, दिया ‘अर्चना’ वक़्त
चिंताओं को छोड़कर, खुद से कर लो प्यार
28-03-2020
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद