कोतवाली की सैर
“कोतवाली की सैर”
लेखक:राहुल आरेज
एक दिन हम यू ही घूमने के बहाने हम पहुच गये कोतवाली,
जैसे ही हम गेट पर पहुचे मिल गई खाकी वर्दी वाली,
खाकी वर्दी वाली ने हमको देखकर पुलिस वाला रौल दिखाया ,
वो वोली कौन है तू ?ये सब सुनकर मेरा भी सिर चकराया,
हम वोले हम आम इंसान है,
वो वोली मुझे लगता सरकारी मेहमान है,
कर जोडकर मैने उस देवी से माँगी इजाजत अन्दर जाने की,
वो वोली अरे आम इंसान तुझे हर वक्त जल्दी क्यों रहती है जेल रोटी खाने की,
मै वोला म्हारी माई या पेट भूख म्हानै यहाँ खिच लाई,
वो वोली म्हारा माथा मत खा मे तो पहले ही बलम से लडके आई,
जैसे ही अदंर पहूचे तोद वाले सिपाही ने जोर से विसाल बजाई ,
और वोले अदंर क्यों घुसा आ रहा है क्या ये पुलिस तेरे बाप की लुगाई,