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13 Jan 2021 · 1 min read

कोटि कोटि जीवो में मैं भी, ईश्वर का वरदान हूं

पंच महा तत्व का पुतला, महा प्राण का प्राण हूं
10 द्वारों का बंगला, ईश्वर का वरदान हूं
पंचकर्म पंच ज्ञानेंद्रियां मन का, एक जहान हूं
सकल सृष्टि और समाज का, महाऋणी इंसान हूं
ऋणी हूं मैं परमपिता का, जिनने इंसान बनाया
जीवन सुलभ किया जिसने, जग रहने लायक बनाया
खाने पीने रहने को, जिसने सब उपजाया
ऋणी हूं मैं मात-पिता का, जिनने मुझको जन्म दिया
नाना कष्ट सहे उनने, जब धरती पर बढ़ा हुआ
ऋणी हूं ऋषि मुनियों का, जिनने ज्ञान-विज्ञान दिया
महाऋणी हूं गुरुओं का, जिनने ज्ञान प्रकाश किया
ऋणी हूं मैं मानवता का,जो सहअस्तित्व पर चलती है
ऋण है सकल समाज का मुझ पर,जो मानव का हित करती है
मैं कृतज्ञ हूं सारी सृष्टि का, अदना सा इंसान हूं
कोटि-कोटि जीवो में मैं भी, ईश्वर का वरदान हूं

सुरेश कुमार चतुर्वेदी

Language: Hindi
5 Likes · 2 Comments · 351 Views
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