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19 Jan 2023 · 1 min read

कोई हिसाब समझ न् आया

कोई हिसाब समझ न आया
**********************

कोई गुलाब नजर न आया,
कोई हिसाब समझ न आया|

हां ढ़ूंढने निकला मै खुद को,
टूटे दिल को सबर न आया|

जिस राह चला दो कदम भी,
वापिस लौट परत न आया|

रास्ते मिलें हमें कुई सफर मे,
पर यार राह पकड़ न पाया|

खोई हुई किताब मनसीरत,
एक भी लफ्ज़ पढ न माया|
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
86 Views
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