कोई शिकावा कोई शिकायत नहीं
कोई शिकावा कोई शिकायत नहीं
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कोई शिकवा कोई शिकायत नहीं,
मिलने आओ कोई हिनायत नहीं।
दे दी खुशियाँ सारी जमाने भरी,
भर दी खाली झौली इनायत नहीं।
जी भरकर जीओ जिंदगी है मिली,
कुछ भी सीमा कोई हिदायत नहीं।
करलो बातें आकर न कहना कभी,
ले लो दोनो हाथों किफायत नहीं।
होता मुश्किल मौका भुनाना बहुत,
खेलो कूदो कोई निरायत नहीं।
मानसीरत दिल का सदा है बागवां,
आशा करना कोई निहायत नहीं।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैंथल)