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17 Dec 2022 · 1 min read

कोई मौसम सा जब बदलता है

अजनबी जैसा हम से मिलता है ।
दर्द आँखों से तब पिघलता है ।।

जान जाती है उस के जाने से ।
ख़्वाहिशों का भी दम निकलता है ।।

टूटता है यकीन खुद पर से ।
कोई मौसम सा जब बदलता है।।

कैसे पहुँचेगा एक मंज़िल पर ।
रास्ते वबारहा बदलता है ।।

कोशिशों पर यकीं करो अपनी ।
मुश्किलों का भी हल निकलता है ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

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