कोई भूखा नहीं होता।
कोई नंगा नहीं होता कोई भूखा नहीं होता।
सियासत ने अगर इस देश को लूटा नहीं होता।।
जरा नजदीक आकर देखिए फिर मान जाओगे।
सियासत में कभी पूरा कोई वादा नहीं होता।।
उठाते आज फन क्यूँ नाग बन गद्दार तुम बोलो।
सपोलों को अगर हमने यहाँ पाला नहीं होता।।
कोई फँसता यहाँ उसके बिछाये जाल में कैसे।
जुबां से वो अगर इतना अधिक मीठा नहीं होता।।
मुहब्बत गर नहीं करता दिले नादान पत्थर से।
किसी की याद में दिन रात मैं रोया नहीं होता।।
प्रदीप कुमार