कोई दुश्मन नहीं होता
*** कोई दुश्मन नहीं होता (ग़ज़ल) ***
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अपनों से बड़ा कोई दुश्मन नही होता,
खुद का तो जहां में पूर्ण तन नहीं होता।
कहते हैं सनम से पर कभी फिदा होना,
जब भी रूठ जाए ठीक मन नहीं होता।
राहों में अकेला तो कभी चला न जाता,
कोई साथ ना हो पथ गमन नहीं होता।
देखो तो जरा नजरें झुकी हुई कहती,
खोटे से सिक्कों का तो चलन नहीं होता।
मनसीरत तराने गा रहा सदा प्यारों के,
फूलों के बिना कोई चमन नहीं होता।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)