कोई दुख नहीं
कोई दुख नहीं आज नहीं तो
कल इस दुनिया को छोड़कर जाना ही है।
कभी किसी के साथ खुश भी थे
कभी किसी के न रहने का गम भी है।
अपने हाले दिल का बयां करके
खुली किताब की तरह मन रख दिया
जिंदगी तो क्षण भंगुर ही है।
जाने कब वो बिखर जाए।
कोई दुख नहीं, आज नहीं तो
कल इस दुनिया को छोड़ कर जाना ही है।
मीरा ठाकुर
आबूधाबी, यू. ए. ई.