कोई तो है ..
ना जाने क्यों,
आज खोया-खोया सा हूँ ।
चांँदनी रात में,
भीनी-भीनी नींद के आगोश में,
सोया-सोया सा हूँ ।
ना जाने क्यों……….।१।
फिर से आया है कोई ,
मंद-मंद स्वर में,
गीत गुनगुनाया है कोई ।
ना जाने क्यों……..।२।
आहट दे जगा गया है कोई,
होठों पर मुस्कान लौटा गया है कोई,
जिंदगी का सार समझा गया है कोई ।
ना जाने क्यों……।३।
दर्द में मरहम लगा गया है कोई,
फिर से जीना सिखा गया है कोई,
कोई तो है अपना पन समझा गया ।
ना जाने क्यों…..।४।
# बुद्ध प्रकाश ;मौदहा ,हमीरपुर।