कोई तो लौटा दो मेरा,प्यारा घर कश्मीर
कोई तो लौटा दो मेरा, प्यारा घर कश्मीर
अंतहीन है पीड़ा मेरी, अंतहीन है पीर
भूले नहीं भुलाती है, मेरी जन्मभूमि कश्मीर
रोम रोम है दर्द का दरिया,धरे नहीं मन धीर
कोई तो लौटा दो, मेरी जन्नत सी कश्मीर
अंतहीन है पीड़ा मेरी, अंतहीन है पीर
घर आंगन वो गलियां,वसी हैं मेरी यादों में
वादी मौसम और झीलें,वसती हैं मेरी आंखों में
चांदी जैसी शीन की चादर, क्या मस्ती थी उन वागों में
स्कूल और कॉलेज घाटियां,चौक और चौराहों में
मेरे कश्मीर की दुनिया में, मिलती नहीं नज़ीर
कोई तो लौटा दो, मेरा प्यारा घर कश्मीर
अंतहीन है पीड़ा मेरी, अंतहीन है पीर
खान पान और रहन सहन,मेरे कश्मीर का न्यारा है
मौसम है अलवेला , कुदरत का मस्त नजारा है
पल पल की हैं यादें ताजा, वक्त जो हमने गुजारा है
अपनी मेहनत और लगन से, हमने कश्मीर संवारा है
कोई तो फिर से कर दो, यादों को गुलजार
मुझको मेरा वापिस कर दो, घर दर वुनियादी प्यार
मेरा घर मां मातृभूमि, खुशियों का संसार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी