कोई तो जिम्मेदार है ।(कविता कोरोना)
कोरोना काल है
एक सवाल है
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कोई वोट कबाड़ रहा है
कोई नोट कबाड़ रहा है ।
किसी किसी को ये सीजन है
मँहगी बेचे आक्सीजन है
आँसू नहीं थम रहे थामे ।
चालू हैं कुर्सी के ड्रामे ।
जिसका जाये वह रोता है।
खोने का ही दुख होता है ।।
नहीं टूटती श्रद्धांजलि की,
ऐसी लगीं कतार हैं ।
होनी वाली इन मौतों का,
कोई तो जिम्मेदार हैं ।।
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बंद पड़े कवि सम्मेलन हैं ।
धंधे हीन हुए कवि गन हैं ।
मिलती नहीं कहीं परमीशन।
फोकट फेसबुकी आयोजन ।
पर विचार में उठे हुए हैं ।
सहायता में जुटे हुए हैं ।
सोई आश जगा देते हैं
जोड़ जुगाड़ लगा देते हैं ।
बिना स्वार्थ के बिना कुछ लिए,
सेवा को तैयार हैं ।
इस अवसर के लाने वाले ,कोई
तो जिम्मेदार हैं ।
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हुआ गजब का गड़बड़ झाला।
पड़ा मौत से ऐसा पाला ।
दारू खूब दवा का टोटा ।।
जीवनदायी हवा का टोटा ।
कम बिस्तर कम पड़ीं मशीनें।
कुछ न सोचा राजा जी नें ।
देश में लगे हुए नर नारी ,
करने हाहाकार हैं ।
आखिर इस हाहाकारी के,
कोई तो जिम्मेदार हैं ।
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बतलाते हैं बाबू मुँशी
करने ठीक जरा सी फुँसी ।
खोली उदारता की थैली।
भव्य प्रदर्शन भाषण रैली ।
बिखरी लोक लुभावन शैली
तभी यहाँ बीमारी फैली ।।
नहीं एक फुँसी को छोड़ा
हुए यहाँ पर लाखों फोड़ा
वह तो चाहे जब निपटाते ।
काश समय हमको दे पाते ।
तो शायद बढ़ता न वायरस ,
पड़ते न बीमार हैं ।
आखिर कोरोना बढ़ने के ,
कोई तो जिम्मेदार हैं ।
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नहीं किसी का दोष निकालो
फर्ज सभी जन मिलकर पालो।
समझो जहाँ साँत्वना बाँटो
वाहन, बैड, आक्सीजन, छाँटो
काम बनाने शोर मचा लो ।
पीड़ित को हर तरह बचा लो।।
करो करो जो बने भलाई ।
खाने दो जो खायँ मलाई ।।
खाने वाले सब कुछ खाकर ,
लेते नहीं डकार हैं ।
इस डकारने की स्थिति के,
कोई तो जिम्मेदार हैं ।।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश