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28 Apr 2023 · 1 min read

कोई खुशबू

कोई खुशबू मिट्टी से आने लगी है।
बरखा रानी बूंदें टपकाने लगी है।

उड़ती फिरती थी मिट्टी दर ब दर
धरा को सीने से लगाने लगी है।

सौंधी सी इसकी आती महक है
मन में पिया की याद जगाने लगी है

कुम्हार को है देना नया रूप इसे
किस्मत चाक पर इसे घुमाने लगी है।

आसान नहीं महक देना किसी को
ये अपना वजूद मिटाने लगी है।

सुरिंदर कौर

Language: Hindi
184 Views
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