कोई और था
दिल की गहराइयों से चाहा था जिसने
कायल है आज भी दिल जिसके अखलाक का
वो तुम नहीं कोई और था
वो कोई और था आँसू पोंछे थे जिसने
लड़खड़ाते कदमों को दिया था सहारा
वो तुम नहीं कोई और था
तनिक उदास देख तड़प उठता था वो
जरा सी नम आँखें देख रो पड़ता था वो
वो जो कहता था तेरे लिए रब से टकरा जाऊँगा मै
चाँद की हो आरज़ू तो चाँद ले आऊँगा मै
जिसकी हर खुशी था मैं और मेरी खुशियाँ
वो तुम नहीं कोई और था
वो कहता था अपने रंजोगम मुझको उधार दे दे
दे दे ये मगमूम-ए-लम्हात सारे दर्द यार दे दे
कोशिश थी उसकी हर गम हर बला से दूर रखना
इबादत थी उसकी मुझे सिर्फ हँसते मुस्कुराते रखना
जिसने दिये जलाके अँधेरे को रोशनी दी
वो तुम नहीं कोई और था
उस दोस्त के एहसानो को मैं कैसे भुला दूँ या रब
कैसे मिटा दूँ उसकी यादों को अपने सीने से
गर रोता हूँ उसकी याद में रोने दो मुझे
तड़पता हूँ उसके दीद को तड़पने दो मुझे
तुम्हारा क्या लिये लेता हूँ जो शोर मचाते हो
हमदर्दी जताने वालों अजीज-ए-रफीको मुझसे
तुम तो वो हो जिसने मुझे जिंदा लाश बना दिया
अब क्या कहूँ तुम हो कौन और वो था कौन
(स्वरचित मौलिक रचना)
M.Tiwari”Ayan” 9452184217