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2 Jul 2024 · 1 min read

कोई आज भी इस द्वार का, सांकल बजाता है,

कोई आज भी इस द्वार का, सांकल बजाता है,
मैं जब देखती पट खोल तो, बचपन बुलाता है

©️ डॉ. शशांक शर्मा “रईस”

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