कोई आज ..कोई चार दिन बाद
जिंदगी जितनी गुजरी है कुछ कमाने मे
उससे कहीं ज्यादा गुजरी है बहुत कुछ गवॉने मे
खून के रिश्ते जो बहुत प्यारे थे
जिंदगी जीने के सहारे थे
वो बेवक्त खुदा को भी प्यारे हो गए
जो कभी हमारे साथ थे
वो आज खुदा के पास हो गए ..
जिंदगी से तो डटकर मुकाबला कर ले
पर गर मौत ही गले लगा ले
तो इंसॉ किसपे भरोसा कर ले
सच ही तो है ..
पल की खबर नही
बरसों को संजोया है ….
कब जिंदगी का दामन छूट जाए
कब मौत की आगोश मे डूब जाए ..
वक्त की तलवार सबके सिर पर लटक रही
कोई आज ..कोई चार दिन बाद …..
अटल सच्चाई ..